Sunday, April 22, 2018
भोपाल | भारत में कथित तौर पर बढ़ रही धार्मिक असहिष्णुता के विरोध में सम्मान लौटाने वालों को आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने रविवार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि “सम्मान लौटाने वालों को एक तो पहले यह सम्मान लेना ही नहीं था, और लिया तो लौटाना नहीं चाहिए। उनके सम्मान लौटाने से देश की छवि खराब हुई है।”
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘वैश्विक तपन (ग्लोबल वर्मिंग) और जलवायु परिवर्तन समाधान की ओर’ में हिस्सा लेने आए आध्यात्मिक गुरु ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि देश में असहिष्णुता बढ़ने की बात से वह सहमत नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में दो समुदायों के बीच किसी तरह का फासला नहीं है। वह कई स्थानों पर अनेक लोगों से मिलते रहते हैं, मगर उन्हें कभी भी ऐसा नहीं लगा। उन्होंने माना कि भारत में चुनाव के समय जरूर दो समुदायों के बीच फासला बढ़ाने की चेष्टा होती है, जो निंदनीय है।
देश में असहिष्णुता बढ़ने का आरोप लगाकर सम्मान लौटाने वाले साहित्यकारों, कवियों, फिल्मकारों को श्री श्री ने आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि “बहुत लोगों ने अपने प्रशस्ति (सम्मान) लौटाए हैं। पहले अगर लगे कि यह प्रशस्ति राजनीतिक हो सकती है, तो लेना ही नहीं चाहिए, जैसे हमने तो प्रशस्ति लेने से ही इंकार कर दिया। और अगर ले लिया तो उसे जनता की ओर से दिया गया सम्मान मानकर रख लेना चाहिए, उसे लौटाने का कोई तुक नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि “यह झुंड के झुंड लोग राजनीतिक कारण से यह कहेंगे कि हम प्रशस्ति इसलिए लौटाएंगे कि देश में असहिष्णुता बढ़ गई है, तो इससे देश की छवि खराब हो रही है। ऐसा करना मैं उचित नहीं मानता हूं। हां मैं विरोध करने की बात से सहमत हूं, उसके लिए समाज में आइए, सड़क पर आइए, जहां असहिष्णुता लगती है, उन लोगों के बीच जाइए, बातचीत करिए कदम आगे बढ़ाइए।”
श्री श्री ने कहा, “जहां जरूरी हो सरकार पर दवाब बनाइए, जहां पर काम नहीं हो रहा हो, जैसे उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा जैसी घटनाएं जहां कहीं भी होती है, उस घटना को रोकने के लिए लोगों में समरसता लाने के लिए चेष्टा करना चाहिए। लेकिन इस तरह सम्मान लौटाना उचित नहीं लगता।”
आपराधी को किसी धर्म विशेष से जोड़े जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, “हमने हमेशा आतंकवाद को धर्म से अलग रखा है और दुनिया को यह सीख दी है कि आतंकवादी को सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह धर्म के नाम पर करें या धर्म के नाम से हो।”
पेरिस में हुए हमले के बाद दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ उठी आवाज पर श्री श्री ने कहा, “भारत ने कई बार इस तरह के आतंकवादी हमलों का सामना किया है, मगर कभी भयभीत नहीं हुआ, पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं हुआ, उठ खड़ा हुआ। मगर आज दुनिया में दो समुदायों में जो फासला बढ़ा है वह घातक है।”
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