Sunday, April 22, 2018
इलाहाबाद | 18 दिसम्बर 2015 को उप्र कैबिनेट की बैठक में पूरे प्रदेश में पालीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए 31 दिसंबर की समय सीमा दी थी। प्रतिबंध के बाद इसकी बिक्री या उपयोग करते पाए जाने पर पांच हजार रुपए जुर्माना व तीन माह की सजा का प्रावधान किया गया ।
हाईकोर्ट एवं उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा पालिथीन के प्रयोग एवं क्रय विक्रय पर पूर्णतया प्रतिबंध के बावजूद पूरे उत्तर प्रदेश में पालिथीन खुलेआम धड़ल्ले से बिक रहा है । पालिथीन पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है ,यह मानव स्वास्थ्य ही नही बल्कि जीव जन्तुओ के जीवन को भी हानि पहुंचा रहा है ।
चाय, जूस, सब्जी, फल, कपड़े आदि ले जाने के लिए खुलेआम पालिथिन का उपयोग किया जा रहा है। खासतौर से खानपान की चीजों को पालीथिन में ले जाना मानव स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है। रंगीन पालिथिन को बनाने में यूज होने वाले केमिकल्स कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को दावत देते हैं। ये केमिकल्स चाय, जूस, फल आदि में मिलकर सीधे पेट में पहुंचते हैं और पाचन शक्ति को प्रभावित करते हैं। पालीथिन पन्नियां शहर के ड्रेनेज सिस्टम के लिए अभिशाप बनी हुई हैं। नगर निगम द्वारा हर साल नालों की सफाई में करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन पॉलीथिन के चलते नालियां और नाले चंद दिनो बाद ही जस के तस हो जाते है ।
जहां एक ओर प्रशासन नमामि गंगे और स्वच्छ भारत भारत अभियान को बढावा देने की बात करती है वहीं दूसरी तरफ पालिथीन पर प्रतिबंध लगने के बावजूद उसे क्रियान्वित नहीं कर पा रही है ।गौरतलब है कि गंगा एवं अन्य नदियो के आसपास के क्षेत्र मे पालिथीन का प्रयोग 2012 से ही प्रतिबंधित है इसके बावजूद आज गंगा के किनारे के तटीय क्षेत्र पन्नी पालिथीन के डम्पिंग जोन बने हुए है । आखिर ये पन्नी आ कहां से रही है ??
प्रशासन इस पर रोक क्यूं नही लगा रहा ?? क्या कोर्ट के आदेश के अनुपालन में अक्षम है प्रशासन ??
एनजीटी,हाईकोर्ट,सीपसीबी के प्रतिबंधो के बावजूद सारे शहर का कचरा गंगा किनारे डम्प क्यों किया जा रहा ???
क्या यह सब प्रशासन की सहमति से हो रहा है ?? इन प्रश्नो का उत्तर इलाहाबाद जिला प्रशासन को देना होगा ! हम आ रहे है !!!
#ban_polythene#स्वच्छभारत
#team_hitarth #नमामिगंगे
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